चंचलता सहित खेल्ते हुये ३-४ वर्शिये बच्चों की स्मृति, तर्क, व अन्य दिमागी कार्यों को विक्सित करने वाली ४ बंडल में शैक्षिक खेल. ये खेल पूर्वस्कूली, बालवाड़ी व प्राथमिक स्कूल के लिये तयार हो रहे शात्रों के लिये बिल्कुल उत्तम हैं.
एक कलाकार की गल्ती
येह खेल ध्यान, संज्ञानात्मक और कल्पना को विकसित करते हैं.मूर्ख तस्वीरें िस आयू के बच्चों के हास्य भावना के लिये बिल्कुल सही हैं. िन खेलों में बच्चे को बडे ध्यान से छवि को निहार्ते हुये वो हिस्सा ढून्ढना है जो प्रसंग से मेल नही खाता है. गलत हिस्सा चयन करने से छवि कुछ और ही बदल देती है जो के दृश्य से मेल नही खाता.
ब्लॉकस
ये खेल स्थानिक ाथ्वा तर्क अनुभूति को विक्सित कर्ते हैं. यहान स्क्रीन पे ४ टाइल्स हैं,हर टुकड़ा किसी और तस्वीर से लिया गया है.लक्ष्य ये है के तस्वीर के टुकड़े तब तक बद्लते जाओ जब तक के थीक तस्वीर न बन जाये. िस खेल क आसान व मुश्किल दोनो पेह्लू हैं.
पहेली
ये खेल स्थानिक सोच व अनुभूति का प्रशिक्षण करते हैं. तस्वीर को ४ टाइलस में बांट दिया गया है जिसे घुमा भी सकते हैं. लक्ष्य है कि टाइलस को िस तरह घुमाया जाये कि पूरी तस्वीर त्यार हो जाय.
जोड़े
ये खेल ध्यान व दृश्य स्मृति का विकास करती है.यहां पत्ते मेज पर ुलटे रख दिये गये हैं.हत दौर में खिलाडी २ पत्ते ुलटता है.ागर दोनो पत्तों कि तस्वीर मिलती है आपस में तो ुन्हें रख दिया जाता है. नही तो िन पत्तों को फिर से ुल्ता कर दिया जाता है. लक्ष्य है के सारे पत्ते आपस में मेल खायें. िस खेल क आसान व मुश्किल दोनो पेह्लू हैं. खेल के शुरुवात में ही बच्चों के समर्ण के लिये संक्षिप्त रूप से समाधान दिखाया गया है.
बच्चा सभी खेलों को ाकेला खेल सक्त है प्रन्तु शुरुवात के लिये किसी बढे कि सहायता को उत्साहित कर्ता है.
लेखक एक शिशू मनोविज्ञानी है जिसे १० से भी जियादा क अनुभव है.
हमारे शैक्षिक खेल व एप्लिकेशन बच्चों के संज्ञानात्मक प्रक्रिया को मध्य नजर रख कर बनायी गयी हैं जैसे: स्मृति,तर्क व दूसरे. ये दिमागी क्रियायें पूर्वस्कूली आयू(३-६ साल) के प्रशिक्षण में उत्तरदायी हैं. बच्चे
जो ेसे व्यायाम विक्सित आयू से सीखने शुरू करते हैं वो दुनिया मेइन जियादा कौशल बनते हैं.
जब एक बच्चा पाठ्शाला जाता है तो उस्के ऊपर बौद्धिक दबाव बढता है जो के तनाव एव: अनुकूलन कठिनाईयों में तब्दील हो जाता है.िसी लिये ये आव्य्शक है के पूर्व्स्कूली बच्चे पेह्ले ही संज्ञानात्मक क्षमताओं को विकसित कर लें. अधिकांश शिक्षकों व मनोवैज्ञानिकों का ये मानना है के पूर्व्स्कूली बच्चों को सन्खयां, आकार या पत्र पढाने से बेह्तर है कि ुन्की संज्ञानात्मक शिक्षा पर ध्यान दें जैसे कि:ठीक मोटर कौशल(जो बोली को बढावा देते हैं), तर्क, कल्पना, एकाग्रता,दृश्य स्मृति, स्थानिक बुद्धि. यदि ये क्रियायें विक्सित हैं तो बछों क बुद्धि(ीQ) ेव: स्कूल मेइन समझने कि शमता तीव्र होती है.
यदि आप और भी हिन्दि शिक्षा-संबंधी खेल ढून्ढ रहें हैं तो हमरे गृह पर पड़ताल कर सक्ते हैं.